लेखनी कहानी -20-Jan-2022 तेरी याद
आज फिर से तेरी खुशबू सी आई है
शायद मोगरे में कोई कली मुस्काई है
हौले हौले से लाल हो रहा है आसमां
शायद तेरे चेहरे पे हया की लाली छाई है
भीगे भीगे से अरमां मचलते हैं इस दिल में
तूने इस कदर ख्वाबों में हलचल क्यों मचाई है
उठ रहा है काफिला यादों की धुंओं का कब से
तेरी अंगड़ाई ने दिल में ऐसी चिंगारी जो लगाई है
सर्द रातों के सितम सहेंगे कब तक और हम
क्या तूने नहीं आने की कोई कसम खाई है
हरिशंकर गोयल "हरि"
20.1.22
Seema Priyadarshini sahay
20-Jan-2022 09:18 PM
बहुत खूबसूरत
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Swati chourasia
20-Jan-2022 07:14 PM
Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌
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Abhinav ji
20-Jan-2022 05:21 PM
Nice
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